Sunday, December 5, 2010

महफ़िल वाली चाय..

एक गिलास फुल ऑफ़ चाय, बिगड़ी सभी बात बन जाये
शक्ल से तो लगती गरम है, पर घूंट-घूंट में ठंडक पहुंचाए
अदरक और इलायची का तड़का हो तो दिल खुश कर जाये
और उसपे दोस्तों का हो साथ तो, बस और क्या! इक हसीं महफ़िल जम जाये..



बारिश को मैंने कहा आ के भिगो दे रास्ता,
दिल को फरक न पड़ा चल दिया लेके बस्ता..... गुज़ारिश