Monday, September 6, 2010

Kal ki yaad kal ke baad..

पल  पल  बंधे  हैं  मेरे  उसकी  यादों  से
सपने  बहते  हैं  हर  वक़्त  मेरी  आँखों  से ..
झाँक  कर  देखता  हूँ  ज़िन्दगी  तो  एक  सूखा  दरिया  है ..
सींचता  रहता  हूँ  जिसे  अपनी  गीली  गीली  आँहों  से .

हवाओं  में  भी  इक  अजीब  सा  सूनापन  है
बिखरा  हुआ  जैसे  कोई  अनजाना सा  गम  है .
जैसे  रो  पड़ता  है  डूबता  हुआ  दिन  भी
सूरज  को  देखता  है  जब  दूर  जाते  हुए  अपनी  बाहों  से .

एक  अहसास  भर  बचा  है  बीते  हुए  चहकते  कल  का ,
धीमा  सा  स्वर  सुनाई देता  है  गुदगुदाती  उस  हलचल  का
होती  एक लहलहाती बगिया   महकते  फूलों  की
पर  बिन  बरसे  ही  चले  गए  बादल  सपनों  की  राहों  से .

Dard hota hai..

"कुछ  ख्वाब  जब  हकीक़त  बन  जाते  हैं
तो  दर्द  होता  है
अपने  ही  जब  बेवफा  कह  जाते  हैं
तो  दर्द  होता है
पतझड़  में  तो  फूल  बिखरते  ही  हैं
पर सावन  में  भी  फूल  मुरझा  जाते  हैं
तो  दर्द  होता  है"

"यादें  जब  फरियादें  बन  जातीं  हैं
तो  दर्द  होता  है
नयी  सुबह  जब  गुजरी  रातें  बन  जातीं  हैं
तो  दर्द  होता  है
चुभने  के  लिए  ज़िन्दगी  ही  बहुत  है  मगर
सच्ची  वफ़ा  भी  चुभती  बातें  बन  जाती  हैं
तो  दर्द  होता  है "

Ik Tasveer..

तस्वीर-ए-मोहब्बत  सजाना  चाहता  हूँ , 
रंग -ए -दिल  आजमाना चाहता  हूँ ..
जला  दो  हर  वो  बुराई दिल  की , 
कि नफरत-ए -दिल  दफनाना  चाहता  हूँ ..