Wednesday, October 13, 2010

Khushiyon Ki Dukaan


जेब में आंसू हथेली पे मुस्कान,
बस इतनी सी होगी मेरी पहचान,
आशाओं की खिड़की मेहनत की दीवार,
कुछ खिलखिलाहटें तो कुछ तकरार
दुआओं की इक छत होगी,
उम्मीदों पे खड़ा होगा मेरा मकान,
किलियों पे अरमानो की तस्वीरें होगीं,
कोने पे पड़ी मजबूर जंजीरे होगीं
ख़ुशी की हुई जो दरकार कभी,
पास में ही होगी खुशियों की दुकान,
जेब में आंसू हथेली पे मुस्कान ,
बस इतनी सी होगी मेरी पहचान!
~ वैभव

10/13/2010 

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