Thursday, November 11, 2010

यादों की अश्रुधार...

बारिश बरसते बरसते आँखों में उतर गयी,
दिल तक याद बनके कब पहुची पता न चला..
लुढ़कते लुढ़कते गालो  से  गिरती वो बूंदे
कब याद अश्रुधार बन गयी पता न चला.. 

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